नोबेल कोरोना वायरस कोविड19 के फैलते प्रकोप के बीच
''वह माता, पिता, पत्नी, बहन, भाई, पुत्री, पुत्र, पोते, पोतिया वाकई में कितने #दिलेर होंगे.."
जो यह जानते समझते हुए भी की अपने जिस परिजन को वह बाजार और सड़क पर भेज रहे हैं...
वह जाने कब किस समय, किस जगह, किसी कोरोनावायरस पीड़ित से मिलकर कोरोना वायरस से ग्रसित हो सकता है...
और घर लौट कर उन सब को भी कोरोना वायरस से ग्रसित कर सकता है...
और इस सब की जानकारी होने में उन्हें लगभग 4 से 6 दिन लग सकते हैं...
और समय रहते इलाज ना मिला या इम्यूनिटी कमजोर हुई तो कितनी भयावह तड़प तड़प कर दर्दनाक मौत उन लोगों की होने वाली है ...
खैर इसे बहादुरी भी कहा जा सकता है बेवकूफी भी पागलपन भी और अज्ञानता भी...